अजीब सी है ये दुनिया हमारी,
गलती वो करे ,
बंधन में हम रहें ।
सोच उनकी गंदी ,
पर्दा हम करें ।
रेखा वो लाँघेंगें
और मान मर्यादा हमें सिखाएगें ।
अब तो सोच रहें गठबंधन कर लें चुप्पी से ,
दिल की आवाज तो वो सुन न सके,
अल्फाज कहाँ समझ पाएँगें।
–चेष्टा वर्मा (चेजराइट्सब्लाग )
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I thank Mrinalini for editing it.
This is her blog. Please check it out. 😊
Thank u dear…n the poem is beautiful..
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